Aatma Raksha Vajrapanjar Stotra | Maja Prabhavk Mantra | Jainism Lyrics

Aatma Raksha Vajrapanjar Stotra
Maja Prabhavk Mantra


“ आत्मरक्षा वज्रपन्जर स्तोत्र"



ऊँ परमेष्ठिनमस्कारं, सारं नवपदात्मकम् ;
आत्मरक्षाकरं वज्र-पंजराभं स्मराम्यमह ....१

ऊँ नमो अरिहंताणं, शिरस्कं शिरसि स्थितम् ;
(मस्तक पर हाथ स्पर्श करे)

ॐ नमो सव्वसिध्दाणं, मुखे मुखपटवरम्
(मुख के सामने हाथ रखे)....२

ऊँ नमो आयरियाणं, अंगरक्षातिशायिनी;
(सर्व अंग को स्पर्श करे)

ॐ नमो ऊवज्झायाणं, आयुधं हस्तयोर द्रढम्
(दोनो हाथ से मुट्ठी बांधे).... ३

ॐ नमो लोऐ सव्वसाहुणं, मोचके पादयो: शुभे
(दोनो पैरो पर स्पर्श करे)

एसो पंच नमुक्कारो, शिला वज्रमयी तले
(कटासणा पर स्पर्श करे) .... ४

सव्व पावप्पणासणो, वप्रो वज्रमयो बहि:
( मस्तक के चारो तरफ रक्षा कवच बनाये)

मंगलाणं च सव्वेसिं, खादिरांगार खातिका
(शरीर के चारो तरफ रक्षा कवच बनाये)....५

स्वाहान्तं च पदं ज्ञेयं, पढमं हवई मंगलं ;
वप्रोपरि वज्रमयं, पिधानं देहरक्षणे . . . . ६
(ऊपर दर्शाये गये सारी मुद्रा पुन: करे)

महाप्रभावा रक्षेयं क्षुद्रोपद्रवनाशिनी ;
परमेष्ठि पदोदभुता कथिता पूर्वसूरिभिः....७

यश्चैवं कुरुते रक्षा, परमेष्ठिपदै: सदा,
तस्य न स्याद् भयं व्याधि-राधिश्चापि कदाचन ....८

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