Aatma Raksha Vajrapanjar Stotra
Maja Prabhavk Mantra
“ आत्मरक्षा वज्रपन्जर स्तोत्र"
ऊँ परमेष्ठिनमस्कारं, सारं नवपदात्मकम् ;
आत्मरक्षाकरं वज्र-पंजराभं स्मराम्यमह ....१
ऊँ नमो अरिहंताणं, शिरस्कं शिरसि स्थितम् ;
(मस्तक पर हाथ स्पर्श करे)
ॐ नमो सव्वसिध्दाणं, मुखे मुखपटवरम्
(मुख के सामने हाथ रखे)....२
ऊँ नमो आयरियाणं, अंगरक्षातिशायिनी;
(सर्व अंग को स्पर्श करे)
ॐ नमो ऊवज्झायाणं, आयुधं हस्तयोर द्रढम्
(दोनो हाथ से मुट्ठी बांधे).... ३
ॐ नमो लोऐ सव्वसाहुणं, मोचके पादयो: शुभे
(दोनो पैरो पर स्पर्श करे)
एसो पंच नमुक्कारो, शिला वज्रमयी तले
(कटासणा पर स्पर्श करे) .... ४
सव्व पावप्पणासणो, वप्रो वज्रमयो बहि:
( मस्तक के चारो तरफ रक्षा कवच बनाये)
मंगलाणं च सव्वेसिं, खादिरांगार खातिका
(शरीर के चारो तरफ रक्षा कवच बनाये)....५
स्वाहान्तं च पदं ज्ञेयं, पढमं हवई मंगलं ;
वप्रोपरि वज्रमयं, पिधानं देहरक्षणे . . . . ६
(ऊपर दर्शाये गये सारी मुद्रा पुन: करे)
महाप्रभावा रक्षेयं क्षुद्रोपद्रवनाशिनी ;
परमेष्ठि पदोदभुता कथिता पूर्वसूरिभिः....७
यश्चैवं कुरुते रक्षा, परमेष्ठिपदै: सदा,
तस्य न स्याद् भयं व्याधि-राधिश्चापि कदाचन ....८
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