पुन्यना भंडार श्री अरिहंता...तर्ज: (सोनामा सुगंध भळे)
पुन्यना भंडार श्री अरिहंता...
अवनि परे विहरे सोनाना कमले चले
सोनाना कमले चले... [१]
जय जय शब्दो थाए सघळे, खमा घणी बोले
चिरंजीवो ओ प्रभुजी मारा, मुखथी सवि उच्चरे...
सोनाना कमले चले... [२]
अशोक तरूवर चलतो आकाशे, सुगंधी फूल विखरे,
दिव्य ध्वनिना मंजुल शब्दो, चामर इन्द्रो धरे...
सोनाना कमले चले... [३]
सिंहासन सोना, सोहतुं, प्रभुनी संगे चले
भामंडल चमकारा करतुं, दुंदुभि नाद उछळे...
सोनाना कमले चले... [४]
छत्रत्रयी शिर उपरे सोहे, पडिहारी सेवा करे
प्रकृति मंडल आनंदे नाचे, अरिहंत ज्यां विचरे...
सोनाना कमले चले... [4]
प्रदक्षिणा पंखीडा देतां, कल कल गीतो करे
चउ तरफना नम्री तरूओ, झुकी झुकीने नमे...
सोनाना कमले चले... [६]
आ प्रभु केरो संयोग सहुने बहु बहु पुन्ये मळे
अम पर दृष्टि करो प्रभु आजे तो, विमल हैयां हसे...
सोनाना कमले चले... (७)
Rachna: Pu. Sa. Kirtipurnashriji M. S. (Deesawala)
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