Aantar Jami Sun Alveser | Jainism Lyrics| अंतरजामी सुण अलवेसर,

अंतरजामी सुण अलवेसर,

अंतरजामी सुण अलवेसर, महिमा त्रिजग तुमारो रे,
सांभळीने आव्यो हुं तीरे, जन्म मरण दुःख वारो...
सेवक अरज करे छे राज, अमने शिवसुख आपो,
आपो आपोने महाराज, अमने मोक्ष सुख आपो...

सहुकोना मन वांछित पूरो, चिंता सहुनी चूरो रे,
एहवु बिरुद छे राज तमारुं, केम राखो छो दूरे... सेवक...

सेवकने वलवलतो देखी, मनमां महेर न धरशो रे,
करुणासागर केम कहेवाशो, जो उपकार न करशो... सेवक...

लटपटनु हवे काम नहीं छे, प्रत्यक्ष दरिशन दीजे रे,
घुमाडे धीजुं नहीं साहेब, पेट पड्या पतिजे... सेवक...

श्री शंखेश्वर मंडण साहेब, विनतडी अवधारो रे,
कहे जिनहर्ष माया करी मुजने, भवसागरथी तारो... सेवक...

Post a Comment

0 Comments