शी कहुं कथनी मारी ओ वीर Sajjay
शी कहुं कथनी मारी ओ वीर,
शी कहुं कथनी मारी ओ वीर...
जन्म पेला में आपनी पासे,
कीधो कोल करारी,
अनंत जन्मना कर्म मिटाववा,
मनुष्य जन्म दिलधारी हो वीर...
संसार वायरानी लहेर थकी हुं,
विसर्यो आज्ञा तमारी,
बाळपणमां रह्यो अज्ञानी,
मनुष्य जन्म गयो हारी ओ वीर...
जोबन वयमां विषय विकारी,
राची रह्यो दिलधारी,
धर्म न पाम्यो धर्म न साध्यो,
धर्मने मेल्यो विसारी हो वीर...
जोतजोतामां घडपण आव्युं,
शक्ति गई सहु मारी,
धनदोलत नी आशाए वळग्यो,
गयो मनुष्य भव हारी ओ वीर...
भरत भूमि मां पंचम काळे,
नहि कोई केवळ धारी,
संदेह सघळां कोण निवारी,
मति झंझाय छे मारी ओ वीर...
उदयरत्न करजोडी कहे छे,
करो हो महेर मोझारी,
भक्तिवत्सल बहु सहाय करीने,
लेजो मुजने उगारी ओ वीर...
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